
सरदार उधम सिंह के शहादत दिवस पर: उनके अंतिम शब्द जो कोर्ट में कहे गए
जब वो जाने के लिए मुड़े तो सॉलिसिटर की टेबल पर थूक दिया। ज़ोर से चिल्लाकर कहा ‘डाउन विथ ब्रिटिश इम्पीरियलिज़्म, डाउन विथ ब्रिटिश डर्टी डॉग्स!’
जब वो जाने के लिए मुड़े तो सॉलिसिटर की टेबल पर थूक दिया। ज़ोर से चिल्लाकर कहा ‘डाउन विथ ब्रिटिश इम्पीरियलिज़्म, डाउन विथ ब्रिटिश डर्टी डॉग्स!’
AI in its true sense imagines a system which can not only take commands but also interpret it at its own.
फ़ेसबुक ने दो AI बॉट्स को कोई काम दिया, और उन्होंने काम से पहले अपनी नई भाषा बना ली!
संविधान में संशोधन कराइए कि अगर गठबंधन पहले से ही घोषित हो, तो उसके घटक दल चुनाव के बाद किसी दूसरे गठबंधन के साथ नहीं जुड़ सकते।
फिलहाल नीतीश कुमार सेकुलर से कम्यूनल होने वाले हैं। आपलोग उसकी तैयारी करें। अचानक से उनके कार्यकाल में हुई राजनैतिक से लेकर सामाजिक और पत्रकार-पेशा-विशेष से संबंधित हत्याओं का ठीकड़ा पता नहीं किसके सर जाएगा। अचानक से उनका कुर्ता सफ़ेद होकर चमकने लगेगा।
सबका नाम रोज़ी है। सब के होंठ गुलाबी हैं, सब बुर्क़े में क़ैद है। सबको बाहर पंख फैलाने है। सबका अपना आकाश है। सबके पंखों का रंग अलग है।
आइटम सॉन्ग पर तारिकाओं की थिरकती कमर और वक्षस्थल के कसाव के बीच की जगह दिखाने की ‘कला’ को अपनी अदाकारी के दम पर चुनौती देने वाली कंगना शायद उनके लीग की नहीं है।
मुसलमान हर उस झंडू बात पर बोलते हैं जिस पर बोलने की कोई ज़रूरत नहीं है; और वो हर उस बात पर चुप रहते हैं जिस पर गला फाड़कर चिल्लाने की ज़रूरत है कि इस्लाम के नाम पर ये बंद करो।
मैं ये इसलिए मानता हूँ क्योंकि अगर वो जिहादी होता तो बस से कूदकर भाग जाता और बस को घाटी में गिरने को छोड़ देता। उससे तो ज्यादा हिन्दू मरते, और आतंकियों की गोली भी कम ख़र्च होती। जन्नत में बहत्तर गुणा हूरें मिलती पैकेज डील में सो अलग!
इन दोगले पत्रकारों को नकारिये जो मरने वाले का धर्म तलाश कर प्राइम टाइम में आँकड़े बताते हैं। इन बुद्धिजीवियों से बचिए जो टट्टी के रंग में जाति खोजते हैं।